तू भोर का एक टीमटीम तारा
तू भोर का एक टीमटीम तारा
खूबसूरत वो लम्हे
संग तेरे बिताये
जैसे रुक ही हैं जाती
दो घड़ी को हवाएं
सारे ख्वाबों को मैंने
है संजोया अभी तक
तुझे अपने खयालों में
रक्खा सजाकर
तू साँझ की धुप सी लगती है
तू भोर का एक टीमटीम तारा
तू साँझ की धुप सी लगती है
तू भोर का एक टीमटीम तारा
मुस्कान बड़े मतवाले हैं
कैसे मैं इनसे बच पाऊं
वो बातें सचमुच प्यारी हैं
इजहार करूँ या मर जाऊं
सोचा ही नहीं तेरे दर पे मैं
रुसवाई का सर चूमूंगा
अब तन्हा हार चूका हूँ मैं तू जोगन एक पिटारा
तू साँझ की धुप सी लगती है
तू भोर का एक टीमटीम तारा
तू साँझ की धुप सी लगती है
तू भोर का एक टीमटीम तारा
~ धीरेन्द्र पांचाल

