सर्मा
सर्मा
सर्द मौसम की फिजाओं से लरज जाती है ।
ऐसे बिखरे हुऐ, बाहों में चली आती है ।।
खुश्क पत्ते और सरसराहट हवाओं की ।
तन्हा सहन में, तेरी याद बहोत आती है ।।
देखा शबनम को कोहरे में बूंदों सी पडी ।
नरम किरणों की शरारत, निखराती है ।।
ऐसी सर्दी है के सांसे भी नजर आजाऐ ।
नरम रजाई में, शोलो को सुलगाती है ।।
एक तेरा साथ और मौसम ये सर्मा का ।
ठंडे पानी में भी आग लगा जाती है ।।
गरम प्याला है चाय का, बातें हैं उसकी ।
मौसमे सर्मा में गर्मी का मजा लाती है ।।

