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Dr. Sharik Sheikh

Romance

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Dr. Sharik Sheikh

Romance

सर्मा

सर्मा

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सर्द मौसम की फिजाओं से लरज जाती है ।

ऐसे बिखरे हुऐ, बाहों में चली आती है ।।


खुश्क पत्ते और सरसराहट हवाओं की ।

तन्हा सहन में, तेरी याद बहोत आती है ।।


देखा शबनम को कोहरे में बूंदों सी पडी ।

नरम किरणों की शरारत, निखराती है ।।


ऐसी सर्दी है के सांसे भी नजर आजाऐ । 

नरम रजाई में, शोलो को सुलगाती है ।।


एक तेरा साथ और मौसम ये सर्मा का ।

ठंडे पानी में भी आग लगा जाती है ।।


गरम प्याला है चाय का, बातें हैं उसकी । 

मौसमे सर्मा में गर्मी का मजा लाती है ।।


        


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