अनलॉक जिंदगी
अनलॉक जिंदगी
मास्क उतारे खुली हवा मे सांस लेना चाहता हूं ।
आ जिंदगी तुझको में, खुल कर जीना चाहता हूं ।।
कर दो अलग अपनो से, ये दवा है बीमारी की ।
बोरियत हो गई तनहाई, भीड़ बनना चाहता हूं ।।
हर तरफ खौफ मौत का, मौत के सारे किस्से हैं ।
मौत से जूझने कर,नई उम्मीद जगाना चाहता हूं ।।
परेशान है डॉक्टर हमारे फिर भी मुंह पर ताले हैं ।
मुश्किलों के सायो में भी, फर्ज निभाना चाहता हूं ।।
बचपना सिमट गया कमरों में, खेलने नहीं जाते ।
दिलभर गया है छुट्टियों से स्कूल जाना चाहता हूं ।।
स्क्रीन पे दिखते हैं सब, पर कतराते हैं मिलने से ।
सुनो दोस्तों आभी जाओ, गले लगाना चाहना हूं ।।
दरवाजे बंद कर दिए तूने हम पर दैर व हरम के ।
खोल दे अब दर सारे तुझको मनाना चाहता हूं ।।
या अल्लाह माफ कर दो, जो किया वह पाया है ।
दूर करो इस बीमारी को, निडर जीना चाहता हूं ।।
बोरियत - boredom
दैर व हरम - temple and mosque