ओ मनभावनी रे
ओ मनभावनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
चाँदनी का वसन
कुमुदनी सी लहक
चंपा की महक
माँग में सजी तारों की छावनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
पवन का झोंका कोई
लाया संदेशा कोई
हृदय आह्लाद जैसे मेला कोई
प्रेम की कोष कोख़ में वाहिनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
मृदु उर्मियों में बह के
कुछ नवीन मधुर बन के
गुनगुन मन चिड़ियों सी चहके
पदचाप धरती पे जैसे मल्हारिनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
बरसने दे मेघ मल्हार
बुझने दे सब अंगार
बदन पर जो हैं भार
नाचे घटा में बन के मोरनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे ।।