STORYMIRROR

Dinesh Dubey

Romance

4  

Dinesh Dubey

Romance

मिलन की आस

मिलन की आस

1 min
11

बात बात पर रूठना ,

बात बात पर मुस्कुराना,

ऐसी एक हरजाई से मैंने,

मिलन की आस लगा रखी है।


मरुस्थल की मृगतृष्णा को

मैने दिल में स्थान दे रखा है,

ना जाने कब पिघलेगा

उसका वह पत्थर दिल।


धड़क रहा मेरा दिल उसके लिए,

पर वे तो रुसवाई लिए बैठी है,

पार मैं भी उसका पागल प्रेमी,

उसके मिलन की आस लगाए बैठा हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance