रंग पञ्चमी
रंग पञ्चमी
अपने हाथों मोहे रंग अबीर गुलाल लगा दो,
थोड़ी शरबत में मिला भंग मस्त पिलाय दो !
हम तुम से ना करें बरजोरी सङ्ग होली खेलन दो,
तोहे बनाये सजनिया मांग सिन्दूर भरने दो !
जुल्फ़े तेरी महके चमेली का गजरा बाँधन दो,
प्रेम पिचकारी भर मोहे अंगिया तोरी भिगोने दो !
गोल कपोल पर सुर्ख गुलाबी रंग मलने दो,
कातिल कजरी अँखिय में कजरा आजने दो,
कस के बांध लो आलिंगन में भागन मत दो,
छूटे न प्रीत रूह से रंगरेज ऐसा मोहे रंग दो !
रंग राग का आलम बिखरे बाहों में भरने दो,
रूह पर रूह का रंग चढे मोहब्बत बढ़ने दो !
उल्फ़त का रंग सुरूर खूब लबों पे चढ़ने दो,
मोहे तोरे अधरों से अधर सुधारस पिवण दो !