चाल
चाल
मुखचन्द्र अधर गुलाबी भौंहें कामदेव के तीर,
चाल अलबेली कटि लचकदार तन्वी छरहरी सी!१!
नाजुक कौमुदी सी झुकी कठोर वक्षभार से,
जलपरी मीनाक्षी मंथर गति हरिणी सी चाल!२!
दिल में कसक हैं मिलने से आँखें चुराती हो ,
मेरे हाल चाल भी तुम रकीब से पुछवाती हो!३!
हंसनी सी चाल अल्हड़ गुलबदन चितचोर,
काली जुल्फें तेरी कमर पर झूले रेशमी डोर!४!
इलाज कराते फिर रहे हो हकीम फकीरों से,
नेक हबीब से पूछा न हाल चाल जमाने से!५
मेरी हर कामयाबी को लोग चाल समझते हैं,
ज्यों ज्यों चढ़ो पायदान लोग फ़रेब करते हैं!६!
फरेबी कभी हमसे नजरें मिलाते कतराते थे,
नज़रों ही नज़रों में दिल में उतरने की चाल हैं!७!