चरित्र बिना जीवन का कुछ है ऐसा हाल जैसे बिन चोट का दर्द, बिन दाढ़ी का मर्द। चरित्र बिना जीवन का कुछ है ऐसा हाल जैसे बिन चोट का दर्द, बिन दाढ़ी का मर्द।
हमसे ही फिर तुमने मुंह मोड़ा प्रिय क्या यही है प्यार तुम्हारा। हमसे ही फिर तुमने मुंह मोड़ा प्रिय क्या यही है प्यार तुम्हारा।
बस एक नज़र कोई देखे इसे समूचा बहा ले जाती है। बस एक नज़र कोई देखे इसे समूचा बहा ले जाती है।
हमने फांसी फंदे गले उतारे हैं नहीं मानते फिर भी हम हत्यारे हैं। हमने फांसी फंदे गले उतारे हैं नहीं मानते फिर भी हम हत्यारे हैं।
ढोए हैं मैंने बे दवा वो ज़ख्म सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नई- नई सी है। ढोए हैं मैंने बे दवा वो ज़ख्म सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नई- नई सी है।
कर सब्र माना नीलम हक़ में नहीं ये पल मत भूल कि समय ख़ुद में करामाती है। कर सब्र माना नीलम हक़ में नहीं ये पल मत भूल कि समय ख़ुद में करामाती है।