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Akhtar Ali Shah

Drama

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Akhtar Ali Shah

Drama

हत्यारे

हत्यारे

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काम मारने के हम करते सारे हैं

नही मानते फिर भी हम हत्यारे हैं


दूध नहीं हम जहर पिलाने वाले हैं

मिष्ठानों में जहर खिलाने वाले हैं

बम, हत्या करने को हमीं बनाते हैं

बेकसूर जनता का खून बहाते हैं

मगर कहेंगे बेकसूर बेचारे हैं

नहीं मानते फिर भी हम हत्यारे हैं 


हम सब्जी में धीमा विष पहुंचाते हैं

इंजेक्शन दे देकर जवां बनाते हैं 

समय पूर्व कच्छे फल यहां पकाते हैं

जहर मिला करके दूकान सजाते हैं

धूल झोंक कर करते वारे न्यारे हैं

नहीं मानते फिर भी हम हत्यारे हैं


हम कुरकुरे चिप्स मेंगी के निर्माता

हम अशुद्ध पानी देने वाले दाता 

मावे में बेरोक मिलावट करते हम

घी के पेकों में चर्बी भी भरते हम

हम डाकू हैं चोर हैं कितने खारे हैं

नहीं मानते फिर भी हम हत्यारे हैं


हम जनता के दुश्मन वारकरें छिपकर

चौपाये भी अब हमसे रहते डर कर

आज परिंदे आसमान में रोते हैं

हमदर्दी के तीर नुकीले होते हैं 

कहे कसाई बकरे हमको प्यारे हैं

नहीं मानते है फिर भी हम हत्यारे हैं 


हम"अनंत"अपराधी श्वेत वसन वाले

दिखने में उजले हैं काले मन वाले

हत्याएं हम करते खबर नहीं होती

वो रातें देते के सहर नहीं होती 

हमने फांसी फंदे गले उतारे हैं

नहीं मानते फिर भी हम हत्यारे हैं।


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