जिसे डॉक्टर हम कहते हैं
जिसे डॉक्टर हम कहते हैं
घोर उदासी की जमीन पर
जीवन देने वाला है।
जिसे डॉक्टर हम कहते हैं
कैसा रूप निराला है।
दर्द बांटने का जो करते
काम धनी हैं किस्मत के।
गर्मी में सुख पहुँचाते हैं
बनकर वो पंखे छत के।
दुख किस्मत का होता है पर
सहने की ताकत पाकर।
जीवन रण में विजय पताका
फहराते रोगी जाकर।
ये जादू का काम करें वो
जो सबका रखवाला है।
जिसे डॉक्टर हम कहते हैं
कैसा रूप निराला है।
संक्रामक रोगों के कारण
जान हथेली पर रहती।
कफन बांध के लगे रहो पर
यही चेतना तो कहती।
कोरोना के कठिन काल में
सुख सुविधाएं सब देकर।
लगे हुए हैं डॉक्टर सारे
सेवा का ही व्रत लेकर।
दिल है मोम मगर लोहे ने
उनके तन को ढाला है।
जिससे डॉक्टर हम कहते हैं
कैसा रूप निराला है।
माना वो अब नहीं रहे जो
देख नाड़ियां व्याधि हरें।
पर जब सारे टेस्ट सुलभ हों
क्यों ना वो उपयोग करें।
हो इलाज कितना भी महंगा
राहत से सस्ता होता।
मुक्त कष्ट से करें देह को
सफल वही रस्ता होता।
पृष्ठ कोई उसकी पुस्तक का
भी हो सकता काला है।
जिसे डॉक्टर हम कहते हैं
कैसा रूप निराला है।
काम नहीं छोटा कोई गर
सेवा समझ किया जाए।
फिर जो जीवन देने का हो
क्यों ना रब को वो भाए।
इंसानी कमजोरी सबमें
होती है वो छोड़े हम।
दुःख जो हरले पीर वही है
नाता उससे जोड़ें हम।
"अनन्त"जो तम रोशन कर दें
सच्चा वही उजाला है।
जिसे डॉक्टर हम कहते हैं
कैसा रूप निराला हैं।