बस एक नज़र कोई देखे इसे समूचा बहा ले जाती है। बस एक नज़र कोई देखे इसे समूचा बहा ले जाती है।
कोई गुल खिलाएं ऐसा नसीब कहाँ। कोई गुल खिलाएं ऐसा नसीब कहाँ।
उमड़ घुमड़ कर मंडरा रहे हो मुझ में उमड़ घुमड़ कर मंडरा रहे हो मुझ में
तुम को सदा सर झुका कर ही पढ़ा है मैंने जैसे आसमां से उतरा कोई फरिश्ता तुम हो तुम को सदा सर झुका कर ही पढ़ा है मैंने जैसे आसमां से उतरा कोई फरिश्ता तुम हो
आँखों के सूखे सावन पानी उतार लाते बादल से थोड़ा, सींचते दग्ध रेत मन के मरुस्थल की..... आँखों के सूखे सावन पानी उतार लाते बादल से थोड़ा, सींचते दग्ध रेत मन के मरुस्थल क...
अपमानित होकर भी, हुंकार नहीं दोगे अपमानित होकर भी, हुंकार नहीं दोगे