बूँद
बूँद
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टिप टिप कर टपक रहे हो मुझ में
जैसे बरसों से सुखी इस जमीं को
बारिश नसीब हुई है..
उमड़ घुमड़ कर मंडरा रहे हो मुझ में
जैसे कड़कती बिजलियों को
बारिश नसीब हुई है..
टिप टिप कर टपक रहे हो मुझ में
जैसे बरसों से सुखी इस जमीं को
बारिश नसीब हुई है..
उमड़ घुमड़ कर मंडरा रहे हो मुझ में
जैसे कड़कती बिजलियों को
बारिश नसीब हुई है..