चंद्रमा
चंद्रमा
चंद्रमा जो शीतलता का है प्रतीक,
जो रातों को धरती पर बरसाता है शीत!
चंदा की चांदनी जब छिटकती है आंगन मे,
हर माँ सुनाती है लोरी बच्चे को लिए गोद में!
मन हिलोरे मारता है मयूर मन का नाचता है,
प्रेमी जोड़े का चेहरा और भी दमकता है!
चंदा की दुधिया रोशनी मे चकोर निहारता है,
आई मिलन की रात और मन ये मचलता है!
चंदा की चांदनी से अमृत भी बरसता है,
खीर को रोशनी मे रखकर भगवन् की भोग लगती है!
जाने कब से ये बुढ़िया चरखा चला रही है,
हर दादी नानी अपने बच्चों कहानी सुनाती आ रही है!
चंदा मामा दूर के पुए पकाए गुड़ के,
जाने कितने प्याली गए टूट मुन्ना गया रूस!
जाने कब से होड़ लगी है चंदा मामा को छूने की,
और वैज्ञानिकों ने कर दिया कमाल
पूरा किया उसने सपना धरती मां की राखी पहुँचाने की!!