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Ragini Sinha

Children Stories Horror Crime

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Ragini Sinha

Children Stories Horror Crime

ओ मेरी गुड़िया

ओ मेरी गुड़िया

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अरे ओ मेरी गुड़िया आ बैठ यहां,

मैं हूं तेरे साथ तेरे पास डर मत।

उन दरिंदों को मैंने भगा दिया,

पुलिस को भी बता दिया

ले गए पकड़ कर उन दरिंदों को,

अब जाकर होश ठिकाने आएंगे।

जेल की हवा भी अब खायेगे,

हो गुड़िया रो मत आ मेरे पास।


तेरे इन आंसुओं को मैं पोंछ दूं,

आंटी मेरी क्या गलती है।

यही ना कि मैं एक लड़की हूं,

लड़की होना क्या पाप है।


हम लड़कियों को मिला क्या यह श्राप है,

चुप हो जा लाडो रो मत मैं हूं न।

मैं तुम्हें सही सलामत तेरे घर पहुंचाऊंगी,

ओ आंटी आप कितनी अच्छी हैं।


दिल की बिल्कुल सच्ची है,

बिल्कुल दादी और मां जैसी।

आपने मुझे उन दरिंदों से बचाया,

अजनबी होकर भी अपना सा हक जताया।


मेरी जख्मों को प्यार से सहलाया,

मेरी दर्द और मेरी तकलीफ को आपने समझा।

पर यह क्या आंटी,

आपके जख्म तो हमसे भी ज्यादा गहरे हैं।


आंटी आप घबराना मत मैं हूं आपके साथ,

चलिए चलते हैं अस्पताल।

एक दूजे को खुद ही संभालना होगा,

हमारे दुख दर्द को खुद ही दूर करना होगा।


जख्म जो हमारे हरे हैं,

हमें खुद ही भरना होगा।


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