बलिहारी जाऊँ आपकी किस्मत पे, तू नज़र उठाये तब तक, धूल से फूल बन जाती हूँ। बलिहारी जाऊँ आपकी किस्मत पे, तू नज़र उठाये तब तक, धूल से फूल बन जाती हूँ...
धड़ गर्दन से तब अलग हुआ जिस जिस मंज़िल पर आँख गईं तभी हुई वह धूल मयी। धड़ गर्दन से तब अलग हुआ जिस जिस मंज़िल पर आँख गईं तभी हुई वह धूल मयी।
इतना निष्ठुर मत बन जाओ, मेरे प्यारे अब इंसान बन जाओ। इतना निष्ठुर मत बन जाओ, मेरे प्यारे अब इंसान बन जाओ।
तुम आओगे अपने बाजार का सर्वोत्तम माल लेकर मगर तुम नहीं आये। तुम आओगे अपने बाजार का सर्वोत्तम माल लेकर मगर तुम नहीं आये।
मुझको अमर रस प्रेम दे अमर गीत रस प्राण बन। मुझको अमर रस प्रेम दे अमर गीत रस प्राण बन।
जात-पात रंग भेद को मिटाकर प्रेम की भाषा सबको बतलाई।। जात-पात रंग भेद को मिटाकर प्रेम की भाषा सबको बतलाई।।