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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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डूबने से पहले आओ

डूबने से पहले आओ

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प्यार की संभावित सम्भावना में

डूबने से

पहले आओ

आओ अपनी अधूरी मुलाकातों के

सिलसिले बढ़ाएं।


चलो माना मेरा देवता

भाग्य रूठा था

दिल क्या कहता था

दिमाग क्या करता था

माना मेरे देवता

हमारी कल्पना का संसार जल रहा है

लेकिन आग के आगे भी

तो रास्ता है।


राजा के सपने

सांडों की लड़ाई

ढेर सारी गहरी प्यास

और फूटी हुयी बाल्टी

शांति बनाए रखने के इशारे

और हिलती डुलती ज़ुबान

बदनामियों के मजे।


माना मेरे देवता

अपना अपने को रोकता है

अपना अपने को टोकता है

दिल दिया है

दिमाग नहीं

ये तो उनका है

जो उलझे है दिल में।


सीखने की आदत

मुस्कराने का हुनर

मचलने की अदा

ठिठकने का मौसम

सब बदला है

बदला है तो अच्छा है।


ऐसा भी तो होता है

दिल हंसता है दिमाग रोटा है

दिमाग हंसता है दिल रोता है

ऐसा भी तो हुआ है

दिल रोया है दिमाग हँसा है

दिल हँसा है दिमाग रोया है।


माना मेरे देवता

दिल दिये बैठा हूँ

कोई पाखंड नही

बस एक रोशनी है

अनदिखी जमीन पर।


प्यार की संभावित सम्भावना में

डूबने से पहले आओ

आओ अपनी अधूरी मुलाकातों के

सिलसिले बढ़ाएं।


चलो माना मेरे मित्र

दिल की राजधानी से

देशों की राजधानियों तक भटके हैं

माना भटकाव के मौसम में

सद्भावना के अभाव से त्रस्त हैं।


माना कलपना की

उपयोगी तस्वीर हैं हम

बाजार के माल की तरफ

फिर भी जिज्ञासा बढ़ी है

दिल दिल से मिला है

एक लम्हा नजर है

कोशिशें कामयाब हुयी हैं


भविष्यवाणियों का क्या कहना

भविष्यवख्ता होने के

अनुमानित प्रबन्ध हैं

कागज की दुनिया में

कागज के गोले हैं

बिगड़े हुये दिमागों के

मरम्मत के प्रबंध हैं

आग लगी है

और हरियाली बढ़ी है

धूल उड़ी है

उपहार मिलें हैं।


माना कि आवारा हूँ मैं

तुमने बार बार कहा भी है

अपनी वायदाख़िलाफियों को याद करो

हमने प्रतीक्षा की है

तुम आओगे अपने बाजार का

सर्वोत्तम माल लेकर

मगर तुम नहीं आये।


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