बलिहारी जाऊँ आपकी किस्मत पे, तू नज़र उठाये तब तक, धूल से फूल बन जाती हूँ। बलिहारी जाऊँ आपकी किस्मत पे, तू नज़र उठाये तब तक, धूल से फूल बन जाती हूँ...
लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकताया। लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकताया।
लेखक ही होते पाठक करते मिथ्याभिमान। लेखक ही होते पाठक करते मिथ्याभिमान।
पहले गोपियाँ थी कृष्ण की दासी पहले गोपियाँ थी कृष्ण की दासी
आप की हो गई दासी रे पैरो में घुंघरू बांधे मीरा नाची रे. आप की हो गई दासी रे पैरो में घुंघरू बांधे मीरा नाची रे.
पहले गोपियाँ थी,कृष्ण की दासी।। अब मानव जीवनचक्र है,कोरोना की दासी।। पहले गोपियाँ थी,कृष्ण की दासी।। अब मानव जीवनचक्र है,कोरोना की...