तिलक से राजतिलक
तिलक से राजतिलक
हर चुनाव बन कर आता है, जैसे नव सूर्योदय
मिल कर सभी प्रयास करें तो, सम्भव है भाग्योदय।
चलो बनाएं ऐसा भारत, हम सब इसके वासी,
जहां न कोई राजा-रानी, रहे न दास न दासी।
हर इक मत सूरज के जैसा, कर देगा उजियारा,
राष्ट्र हितैषी होगा निर्णय, प्रण हो यही हमारा।
लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकाया।
हमने उंगली तिलक करा कर, अपना धर्म निभाया।