आ गईं हैं सर्दियाँ
आ गईं हैं सर्दियाँ
रात ठिठुराने लगी है आ गईं हैं सर्दियाँ
सुबह भी धुँध से ढकी है आ गईं हैं सर्दियाँ
चाय कप से मुँह तलक आने में ठंडी हो रही
भाप मुँह से उठ रही है आ गईं हैं सर्दियाँ
आँच चुम्बक की तरह अपनी तरफ़ को खींचती
हाँक अँगीठी मारती है आ गईं हैं सर्दियाँ
ऐसा लगता है रजाई बादलों की ओढ़ कर
धूप भी सोई पड़ी है आ गईं हैं सर्दियाँ
दूर से सूरत दिखाता, ये बची दिन की बिसात
रात राह रोके खड़ी है आ गईं हैं सर्दियाँ
इस फ़िज़ा में गाल अमीरी के गुलाबी हो गए
कँपकँपाती मुफ़लिसी है आ गईं हैं सर्दियाँ।