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prachi chavan

Drama

4  

prachi chavan

Drama

बारिश

बारिश

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वो बारिश की शाम थी जब मैंने पहली बार उसे देखा,

उन गिरती बूंदों से जैसे उसकी गहरी दोस्ती सी थी,

वो जितना हंसती बूंदें उतना ही तेज़ी से गिरती।


मैं परेशान सा था,

ये बिं मौसम की बरसात थी,

मुझे घर जाने की जल्दी थी,

पर उसकी आंखों की मासूमियत ने

मानो मुझे जकड़ रखा था,

चाहते हुए भी मैं वहां से हिल नहीं पाया।


जब सब लोग बारिश से बचने के लिए छत ढूंढ़ रहे थे,

वो ऐसे खिलखिला रही थी मानो उसे

ज़िन्दगी की सारी खुशियां ही मिल गई हो।


कोई और नहीं,

मेरी पांच बरस की बेटी थी वो,

इन सालों में मैंने कभी

फुरसत से उसे देखा ही नहीं था,

पैसों के पीछे इस कदर गुम था

कि उसका बचपन कहीं छूट

रहा है ये कभी सोचा ही नहीं।


चंद घड़ियां शायद वो भी मांगती होगी मेरे साथ,

पर उसकी वो अनकही आवाज़

मैंने कभी सुनी ही नहीं थी।


वो बारिश की शाम थी जब मैंने

मेरी बेटी को पहली बार देखा,

उसके बचपन में पहली बार खोया था।


उस दिन सब बदल सा गया,

और शायद तब

मैं सही में पिता बन गया !


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