जीवंत कुसुम
जीवंत कुसुम
खिले जीवंत कुसुम कितने हैं कोमल,
उनका प्रफुल्ल वदन है अति विमल,
प्रतिदिन समलंकृत करें यह धरातल,
इकट्ठा करने नारी पुजारी रहें आकुल।
इहलोक के तरु लताओं में होता है कुसुमों का आगमन,
रंगबिरंगे रूपरेखाओं से आभूषित दिखें सब उद्यान वन,
भाग्यवंतों को अपना सामीप्य प्रदान करते हैं पतितपावन,
पुष्पों का क्षणिक शोभा ज्ञात कराए यह क्षणभंगुर जीवन।
मृत्तिका से मिला है यह अमूल्य जीवन,
शुभ्र सुरभित सुशोभित रहे जैसे सुमन,
सीमाबद्ध कालावधि में सदा रहे पावन,
पुनः मिट्टी में ही करना होगा प्रत्यावर्तन।
