STORYMIRROR

Raja Sekhar CH V

Abstract Classics Inspirational

4  

Raja Sekhar CH V

Abstract Classics Inspirational

श्रीक्षेत्र के रथांग

श्रीक्षेत्र के रथांग

1 min
288


श्रीक्षेत्र के रथांग हैं अत्यंत भाग्यवन्त,

रथांगपाणि हेतु जो हो जाते हैं जीवंत,


महारणाओं की दक्षता में नहीं है अंत,

रथ पर विराजित होते हैं अनंत श्रीकांत।१।


भगिनी सहित घोषयात्रा करते हैं शंखक्षेत्र के बड़े सामंत,

नन्दिघोष में दिव्यदर्शन अनुदान करते हैं श्रीधर श्रीमन्त,


आश्वस्त सानन्दित भक्तों का मानस होता है शांत प्रशांत,

सुकान्त सुशोभित सचल रथचक्र हो जाते हैं अत्यंत सुशांत।२।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract