इज़्ज़त
इज़्ज़त
ख़ुद को इतनी इज़्ज़त दे देनी ही चाहिए,
के उस जगह कभी न जाएँ,
जहाँ आपकी हमारी क़दर न हो !!
ख़ुद को इतनी इज़्ज़त दे देनी ही चाहिए,
के उन लोगों से राब्ता न किया जाए,
जिनको एहतिराम की अहमियत भी पता न हो !!
क्योंकी मिलेगी सिर्फ़ मायूसी !!
इसलिए अपने क़ीमती लम्हों को किसी मुनासिब जगह पर,
किसी वाजिब काम में,
तह-ए-दिल से लगाए जाएँ ,
और नए काम्याबी से रूबरू किया जाए !!
और अपने इज़्ज़त में चारचाँद लगाए जाएँ !!