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Rakesh Kumar

Drama

5.0  

Rakesh Kumar

Drama

सफर जारी रखो

सफर जारी रखो

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मिलने बिछड़ने का

ये सफर जारी रखो

थोड़ा करार हो

और थोड़ी बेकरारी रखो


तू मुझको अपना लगा

न जाने कैसी नज़र थी मेरी

अगर तेरी भी नज़र-ए-करम हो ऐसी

तो ये नज़र जारी रखो


या भूलकर मेरे सारे लफ्ज़-ब-लफ्ज़

चलो फिर से अज़नबी बन जाये हम दोनों

इन यादों को ख़ुशनुमा मोड़ देकर

वक़्त की ये बे-इख़्तियारी रखो


खबर मिली है के

वक़्त लगता है मरहम हर ज़ख्मों पर

ये ख़बर है काम की

ये ख़बर जारी रखो।

बढ़ते रहने का हर सफर जारी रखो...।


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