STORYMIRROR

Rakesh Kumar

Drama

5.0  

Rakesh Kumar

Drama

सफर जारी रखो

सफर जारी रखो

1 min
29.9K


मिलने बिछड़ने का

ये सफर जारी रखो

थोड़ा करार हो

और थोड़ी बेकरारी रखो


तू मुझको अपना लगा

न जाने कैसी नज़र थी मेरी

अगर तेरी भी नज़र-ए-करम हो ऐसी

तो ये नज़र जारी रखो


या भूलकर मेरे सारे लफ्ज़-ब-लफ्ज़

चलो फिर से अज़नबी बन जाये हम दोनों

इन यादों को ख़ुशनुमा मोड़ देकर

वक़्त की ये बे-इख़्तियारी रखो


खबर मिली है के

वक़्त लगता है मरहम हर ज़ख्मों पर

ये ख़बर है काम की

ये ख़बर जारी रखो।

बढ़ते रहने का हर सफर जारी रखो...।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama