मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार
मेरी ख़ामोशी हो तुम
बाहर की इस शोर में भी
गुम न हो सकी
मेरे दिल की वो खामोशी हो तुम।
मेरा कल भी हो और
मेरा आज हो तुम
मुझसे भी छुपा है
मेरा ऐसा राज़ हो तुम।
धूप भी हो और छाँव हो तुम
मेरा शहर भी हो और मेरा गाँव हो तुम
ना कृष्ण हूँ मैं ना राधा हो तुम
पर इतना तो है कि
मुझमे ही मुझसे ज्यादा हो तुम।
बस खुद को लिखा है
हर बार ग़ज़लों में मैंने
पर इसमें भी फक़त आधा हूँ मैं
और आधा हो तुम।
मेरे अकेलेपन में एक
खूबसूरत इंतजार हो तुम
बेचैन जब भी हुआ
उस पल में एक करार हो तुम।
जिसमे हर लफ्ज़ अंत तक धड़के
वो किस्सा बेशुमार हो तुम
पूरा तो नहीं पर मेरा
कुछ हिस्सा संसार हो तुम।
तुम कोई और नहीं
मेरा पहला प्यार हो तुम।