जानना चाहती हूँ मैं तुम्हें बारिश की बूंद बनकर ! जानना चाहती हूँ मैं तुम्हें बारिश की बूंद बनकर !
आओ मिलकर नए सिरे से अपना घर सजाते हैं। आओ मिलकर नए सिरे से अपना घर सजाते हैं।
मैं गाँव जाता अब जब कभी मैं गाँव जाता अब जब कभी
बरगद की छांव का होना बरगद की छांव का होना
छांव है गर्म यहां आ कहीं और चलें। जाने ये किसका असर कि जल रहे हैं शहर जिधर भी जाओ म छांव है गर्म यहां आ कहीं और चलें। जाने ये किसका असर कि जल रहे हैं शहर ...
दूर होते जा रहे हैं हम सब आज उस बूढ़े बरगद की प्यारी छांव से, अंगुली पकड़कर जिसने हम दूर होते जा रहे हैं हम सब आज उस बूढ़े बरगद की प्यारी छांव से, अंगुली पक...