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Indira Tiwari

Abstract

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Indira Tiwari

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बारिश के बाद

बारिश के बाद

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बारिश के बाद की धूप

छोड़ जाती है बूंदों को

गायब करने वाली अदा,


जिसमें किसी चीज़ को

बदलने की है ताक़त।


धूप सूखा देती है वो लम्हा 

जो गिला पड़ा था 

तुम्हारी मेरी आँखों में।


ये धूप कब कहाँ पड़ती है ? 

कोई नही जानता 

पर दिख जाती है आसानी से 

अपनी मौजूदगी लिए,


बिना किसी आवाज़ के

और ले आती है छांव

तुम वो छांव हो या धूप ?

मैं जानना चाहती हूँ।


जानना चाहती हूँ मैं तुम्हें

 बारिश की बूंद बनकर !


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