हमसफर
हमसफर
मेरे हमसफ़र सा कोई नहीं.!!!
हां मेरे हमसफ़र सा कोई नहीं.!!!
जो पत्नी, धर्मपत्नी और अर्द्धांगिनी भी होती है.!
जो शादीशुदा ज़िंदगी की सारी जिम्मेदारियां ढोती है.!!
ज़िन्दगी में जब से मेरी वो आयी है.!
खुशियां हजार-हजार लायी है.!!
कहती है ज़िन्दगी और क्या है.!
खुशियां ही खुशियां इसका फलसफा है.!!
उदास कभी नहीं वो रहती है.!
ना ही हमें वो रहने देती है.!!
हां बच्चे अवश्य परेशान उससे रहते हैं.!
पर दुनिया की महानतम मां उसे कहते हैं.!!
सचमुच, मुझे अपनी धर्मपत्नी पर गर्व है.!
उससे, हर दिन मेरे घर में पर्व है.!!
लेकिन जब वो गुस्से में आती है.!
सबको नानी याद दिलाती है.!!
नित नई सीख बच्चों को सिखाती है.!
इंसानियत का पाठ मुझे भी पढ़ाती है.!!
मेरे जीवन की वो प्रेरणा है.!
यही मेरी उसके प्रति अवधारणा है.!!
सचमुच अर्द्धांगिनी को सार्थक किया है उसने.!
हरेक पल को, मेरे दुःख-दर्द बांट कर दिया है उसने.!!