मन
मन
बहुत कुछ है मन में,
सोचता हूँ सब कह दूं
अपनी सारी भावनाएं
आपके सामने रख दूं।
दिल में अजीब सी
कौतुहल मची है
ना जाने मन की बकबक
मुझे किस दुनिया में ढकेली है !
एक बार निकल जाऊँ,
निखर जाऊं
उस दुनिया की बकबक से
संभल जाऊँ।
उस बेचैनी, बेहोशी,
मदहोशी से
ना जाने अजीब सी
खामोशी से
उभर जाऊँ...!
पता है जीवन का
एक समय सीमा हैं !
पर आप चिंता मत करो
मैं फिर से जीना सीख जाऊंगा
शतरंज भरी दुनिया की साजिश में !
रहना सीख जाऊंगा।
मुझे चिंता किस बात की भला ?
आपका साथ जो है।
दुनिया की साजिशों से
एक रोज लड़ना भी
सीख जाऊंगा !