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Sumit. Malhotra

Abstract

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Sumit. Malhotra

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इश्क़ वो गुनाह है

इश्क़ वो गुनाह है

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इश्क़ वो गुनाह है, इश्क़ वो धोखा है, 

इश्क़ इबादत नहीं, अब हवस बना है। 


इश्क़ वो गुनाह है, हमने तो न किया, 

दीदार ख़ूब किया, मौका ही न मिला। 


इश्क़ वो गुनाह है, एक बार करना है, 

कुछ सजदा करते, कुछ इबादत सदा। 


इश्क़ वो गुनाह है, जो नहीं करना हमें, 

बदक़िस्मत है हम, प्यार के मामलों में।


इश्क़ वो गुनाह है, गुनाह ये ग़म नहीं, 

खता ये करना ही, आदमी तो करना। 


इश्क़ वो गुनाह है, रब ने भी किया है, 

हमने कर लिया तो, गुनहगार सिर्फ़ हम।


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