अंतर्द्वंद- 15
अंतर्द्वंद- 15
वो साल उसे याद हो न हो
मुझे याद है
वो महीना उसे याद हो न हो
मुझे याद है
वो तारीख़ उसे याद हो न हो
मुझे याद है
वो वक़्त उसे याद हो न हो
मुझे याद है
वो लम्हा उसे याद हो न हो
मुझे याद है
वो पल में हाथ छुड़ा कर जाना
वर्षो के साथ से मुँह मुड़ा कर जाना
कैसे भूल सकता हूँ
उस वक़्त
कोने में कहीं दर्द ठहरा था
निकलना चाहता था
पर उसकी कसम का पहरा था
उसे जाते हुए देख रहा था
अंदर ही अंदर घुट रहा था
तुमने भी तो सब कुछ देखा था
तुमने क्यों नहीं कुछ किया
फफक कर रोते हुए दिल ने
दिमाग से पूछा।