महिषासुर वध
महिषासुर वध
शक्ति आजमाने को अपनी, महिषासुर था आतुर सा।
तीनों लोक भयाकुल थे जब, पाप बढ़ा महिषासुर का।
अत्याचार बढ़ा दानव का,सुर नर मुनि सब व्याकुल थे।
कैसे अत्याचार रुकेगा, तीन लोक शंकाकुल थे।
ब्रह्मा विष्णु और महेश ने, तब देवी का ध्यान किया।
देख दुःखी इस सकल जगत को, देवी का आह्वान किया।
पुंज प्रकाशित हुआ गगन पर, माँ जगदम्बे प्रकट हुई।
बोली क्यों आह्वान किया है, ऐसी भी क्या विपद हुई।
हाथ जोड़ देवों ने माँ से, सारा हाल सुना डाला।
उस आतंकी महिषासुर ने, ये ब्रह्मांड हिला डाला।
तीजा नयन खुला देवी का, निकली उसमें से ज्वाला,
रक्षा करने सकल जगत की, रूप धरा दुर्गा वाला।
सिंहों सी फिर हुई गर्जना, काँप उठा संसार सकल।
रौद्र रूप देवी धारण कर, रण भूमि में चली एकल।
महिषासुर के पास पहुँच कर, रण में उसको ललकारा।
अष्ट भुजाओं से देवी ने, वध दानव का कर डाला।