शहीद ए आज़म भगत सिंह
शहीद ए आज़म भगत सिंह
1)
चाह देश की आज़ादी, राह देश की आज़ादी।
दुश्मन से भारत को,कैसे भी बचाना था।
वो बम तो बहाना था, बहरों को सुनाना था।
इंकलाब के नारों को,देश में फैलाना था।
खेल में भी आंदोलन,जेल में भी आंदोलन
जब तक जिया था वो,उसी का ज़माना था।
शेर सा था वो निडर,मौत का भी न था डर
बसंती चोले का वो,अकेला दीवाना था
2)
जलियांवाले बाग में,या फाल्गुन के फाग में,
उसके नैनों में बस, देश का ही स्थान था।
मौत से करी थी शादी, चाह ख़ल की बर्बादी।
शहीदों के टोली की वो,आन बान शान था।
उम्र जो बची थी सारी,देश के ही नाम करी।
वीर पुत्र वो भगत, देश की संतान था।
वो भगत सो रहा था, देश देखो रो रहा था।
हत्यारे अंग्रेज बने,भगत महान था।