ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Abstract Classics Inspirational

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ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Abstract Classics Inspirational

स्वतंत्रता

स्वतंत्रता

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तन पिंजर में कैद है, जीवन का यह प्राण।

बिन उसके सम्भव नहीं, दुनिया का निर्माण।।1


दो लोग जब साथ मिलें, चलें एक ही राह।

अवगुण अनदेखी करें, गुण से हो निर्वाह।।2


दुखी करे परतंत्रता, हो न पूर्ण जब चाह।

तन चाहे कैदी रहे, मन ढूँढे है थाह।।3


बात किसी की मानना, यह अच्छी है बात।

मनवाना हर बात को, दे जाता आघात।।4


निर्णय की स्वतंत्रता, मन भाए हर बार।

रोके से होता हनन, यह मानव अधिकार।।5


देश हमारी जान है, तीन रंग है शान।

आजादी अभिमान है, कभी न देना दान।।6


सबसे बड़ी स्वतंत्रता, हो इच्छा का मान।

नर हो या फिर नार हो, सबका हो सम्मान।।7


नन्हे बालक की अलग, होती है पहचान।

उनकी भी हर चाह को, पहचानें श्रीमान।।8


चाहे दो भौतिक खुशी, या सुविधा के हार।

मन को बाँध दिया मनुज, फिर सब है बेकार।।9


आज़ादी अभिव्यक्ति की, सबका है अधिकार।

उद्दंडता न हो कभी, ध्यान रहे हर बार।।10


अंतर बहुत महीन है, इसको समझो यार।

बड़बोला उद्दंड है, गरिमा रखे स्वतंत्र।।11


कलकल करती है नदी, जबतक बहे स्वतंत्र।

बाँध बनाकर झील में, किया उसे परतंत्र।।१२


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