स्वप्न (27th Nov)
स्वप्न (27th Nov)
सपने यहाँ हजार हैं,होती सौ- सौ चाह।
इच्छा जब मन में रहे, मिल जाती है राह।।1
मन के बड़े वितान पर, उड़ते पाखी स्वप्न।
यहाँ सुखद अहसास है, यहाँ न कोई प्रश्न।।2
खुले खुले अम्बर तले, उड़ते स्वप्न हजार।
आते उनके हाथ वे, जिन्हें कर्म से प्यार।।3
जिन्हें स्वप्न से प्यार है, उन्हें कर्म से प्रीत।
मन में जब जागी लगन, होती उनकी जीत।।4
जीवन में हर ख्वाब की, अपनी है पहचान।
कोई पलकों पर टिके, कोई बनता ज्ञान।।5
सपनों के संसार में, कोई टोक न रोक|
यायावर मनु वीर हो, या हो वह डरपोक||६
सजा रही है नींद ज्यों, सपनों का संसार|
परियाँ आतीं ख्वाब में, या फिर राजकुमार||७
ऊँचे सपने देखना, सबका है अधिकार|
मिले साथ परिवार का, मिल जाता आधार||८
सबके अपने स्वप्न हैं, सबकी अपनी सोच|
बाधाओं के बीच भी, आती कभी न लोच||९
स्वप्न बिना यह जिंदगी, नीरस सी बेकार|
मिलता कोई लक्ष्य तब, मिल जाता है सार||१०
गहराई से सोचना, क्षमता की भी बात |
चींटी चढे पहाड़ पर, क्योंकर सारी रात||११