पैसा ( 12th Nov)
पैसा ( 12th Nov)
इस भौतिक संसार में, धन का बहुत महत्व।
सुख-सुविधा साधन मिले, ऐसा है यह तत्व।।१
ईश ने जब दिया जगत, मिला बदन में पेट।
होते रहे इधर-ऊधर, जंगल में आखेट।।२
ज्यों विकास की राह पर, आगे बढ़ा मनुष्य।
चाहत भी बढ़ती गयी, दिखने लगा भविष्य।।३
शनै शनै जब घर बना, सजे वहाँ सामान।
फिर भी चाहतें न घटीं, न ही घटे अरमान।।४
तुलना भी होने लगी, इक-दूजे के साथ।
अमीर गरीब शब्द तब, आया मनु के हाथ।।५
पैसों से तुलने लगे, रिश्तों में भी नेम।
मिलता है धनवान को, इज्जत वाला फ्रेम।।६
खाना हो जब संतुलित, किस विधि जुटते दाल।
यह गरीब को है पता, तिनका तिनका माल।।७
जब मेधा के साथ हो, पैसों का भी जोग।
ऊँची- ऊँची डिग्रियाँ, पा लेते हैं लोग।।८
बिना पैसों के न जुटे, जग में सही इलाज।
पैसों की हर लूट में, गौण हुआ है काज।।९
जग में पैसों के लिए, पनपा भ्रष्टाचार।
बनते जब सीमित बजट, लगे अतिथि भी भार।।१०
बड़ी बड़ी अट्टालिका, रहें लोग दो- चार।
भाषा वाणी मौन है, मोबाइल संसार।।११
प्रेम सदा अनमोल है, धन का वहाँ न काम।
मन से मन का मेल है, छाँव मिले या घाम।।१२