हिमाचल प्रदेश(my country-4th Nov)
हिमाचल प्रदेश(my country-4th Nov)
पुरातत्व की खोज जब,ले आती है पास,
उनके ऊपर शोध ही,रच देता इतिहास|
नाम हिमाचल बड़ा सुहाना, देवभूमि से सबने जाना,,
ऋग्वेद से भी है पुराना, आर्यों का यह ताना बाना|
सिंधु सभ्यता की परिपाटी, बंगाना सिरसा की घाटी,,
कोलोरियन लगाए मेला, पर स्वीकार नहीं था रेला|
फिर वे गए हिमाचल नगरी, वहाँ बनाई अपनी मगरी,,
दस्यु निषाद जाति थी पहली, बाद यक्ष किन्नर बन रह ली|
वे मुंडा दासा या नागा, खुद को माने थे बड़-भागा,,
जब मंगोल हुए विस्थापित, बन भोटा वापस थे ज्ञापित|
आर्यों का तीजा विस्थापन, जहाँ हुआ था कार्य विभाजन,,
अनुशासन का बंध निभाए, सुदृढ़ नींव का राज्य बनाए|
सिक्कों में दिखने लगे/लगी,काल सृजन की रेख,
करें पुष्टि इतिहास की,ताम्रपत्र अभिलेख,,दोहा|
आलेखों की मुख्य शिलाएँ, मण्डी चम्बा में मिल जाएँ,,
पथयार काँगड़ा कनिहारा, तथ्य समाज-अर्थ का सारा,
ये सारे जनपद हैं रह-बर, त्रिगर्त कुलिंद अरु औदुम्बर,,
सिक्कों पर की अलग कहानी, इंडो-ग्रीक तँह लिपि पुरानी|
प्रथम सदी सिक्कों पर अंकित,नृप विर्यास वहाँ हैं टंकित,
चकला सिक्का साहिल वर्मन,आहत सिक्का चाँदी दर्शन |
किया टॉलमी ने जब विचरण, आदिकाल का उसमें विवरण,
ह्वेनसाँग इतिहास पुराना, अलबरुनी का मध्य जमाना,|
साहित्य- स्रोत में रामायण, पुराणों में है बादरायण,
कल्हण साक्ष्य राजतरंगिनी, अष्टाध्यायी लिखी पाणिनी,|१०
दिवोदास नृप आर्य थे,शम्बर हुए अनार्य,
लम्बी सी वंशावली,मूरक्राफ़्ट का कार्य,|
थी कुलिंद गणतंत्र प्रणाली,मुद्रा ताम्र खरोष्ठी वाली,|
चाँदी पर ब्राह्मी लिखवाए,अर्जुन से वे पार न पाए,|
नगरकोटि त्रिगर्त का व्यापक,सुशर्मचंद्र बने संस्थापक,|
कौटेय वंश के वह शासक,मुद्रा चौकोर के प्रकाशक,|
राज वीरयश कुल्लूतों के, लिपि लगाए वह संस्कृतों के,|
प्रथम हिडिंबा महिला शासक, वह गणतंत्र की थीं उपासक),|
वृक्ष उदुम्बर के ही कारण,था जनपद औदम्बर धारण,|
(महादेवसा उपाधि सुन्दर, बैल त्रिशूल लगाए मुन्दर,|
भेड़ बकरियाँ पालन पोसी,औदम्बर गब्दिक के पड़ोसी,|
आगे जनपद हुए पराजित, था साम्राज्य गुप्त का राजित,|
शनै-शनै गणतंत्र का, होने लगा विनाश,
बढ़े हिमाचल की तरफ, राजतंत्र के पाश,|
मौर्य वंश अशोक से आया),बौद्ध धर्म का जादू छाया
था फिर शुंग वंश का शासन,पुष्यमित्र था जिनका राजन,|
वंश कनिष्क कुशान बनाया,गुप्त वंश फिर राज बसाया,|
सदी पाँच हूणों का बंधन,सदी सात वंश हर्षवर्धन,|
पूर्व मध्य राहुन ठकुराई,राजपूत बारी फिर आई,
मध्यकाल में मुस्लिम आए,वहाँ गजनवी गोरी छाए,|
फिर आए तुगलक या सूरी, बाबर अकबर बनकर धूरी
मंदिर पर जो बात न मनती,हिन्दू-मुस्लिम नृप में ठनती
सदी अठारह सिख भी आए,गुरखा भी आकर भरमाए,|
अग्रेजों/अँग्रेजों से ठनी लड़ाई, तब आजादी घर में आई||
अड़तालिस उन्नीस का, अप्रैल हुआ है खास,
हिमाचल राज्य-रूप में, है भारत के पास|...