देखते रहना किसी पर्वत के उतंग शिखर से किंकर्तव्यविमूढ़। देखते रहना किसी पर्वत के उतंग शिखर से किंकर्तव्यविमूढ़।
सोखा जब सूर्य ने भी नमी, तो वर्षा बन लौट फिर बही मैं। सोखा जब सूर्य ने भी नमी, तो वर्षा बन लौट फिर बही मैं।
पाँव लाँघ लें चौखट को तो, लाँछन लाखों लगते पाँव लाँघ लें चौखट को तो, लाँछन लाखों लगते
कोई साथ नहीं चलता, कोई साथ नहीं चलता,
ये बात मन में गढ़ लिया तो सब कुछ सम्भव है। ये बात मन में गढ़ लिया तो सब कुछ सम्भव है।
बिना कुछ कहे जैसे मां, सब कुछ समझ जाती है। वैसे ही एक बाप को मैंने, दिल का हाल जानते देखा। बिना कुछ कहे जैसे मां, सब कुछ समझ जाती है। वैसे ही एक बाप को मैंने, दिल...