STORYMIRROR

Arya Jha

Inspirational

4  

Arya Jha

Inspirational

इठलाती बलखाती नदिया

इठलाती बलखाती नदिया

2 mins
563

वो बहती नदिया की धारा सी, 

चंचल, निर्मल, बहती खल-खल, 

वो साथ चलता किनारा सा, 

प्यार से संभालता, सहेजता पिता सा, 

वो जज़्बातों के उफान सी,

कभी-कभी तूफान सी, 

वो बस दुलारता सा,

हर हरकत पर लुट जाता सा, 

कौन था वो? इंसान या कोई देवदूत? 

सवाल करती, रोती, गुस्सा भी होती, 

वो मुस्कुराता, सताता,

चिढ़ाता, फिर हँसाता,

उस पल धैर्यवान भाई बन जाता, 

देवदूत ही होगा वो !

क्यूंकि घंटो साथ चलते, 

घूमते-टहलते, 

गलती से भी ना छुआ था उसने, 

क्या मिलता था फिर साथ रहकर उसे, 

क्यों सहेजता था? 

हर आने-जाने वालों की नज़रों से, 

निरखते ही, आँखों में तिरती थी हँसी, 

एक सम्पूर्णता का अहसास लिए,

आभास कराता, वो साथ है ,

चंद मीठे अल्फ़ाज़ लिए,

देवदूत ही होगा.... 

इतनी महफूज़ तो अपने घर में भी नहीं कोई...

नज़रों की पवित्रता तो अपनों की भी सोई... 

देवदूत ही था!

तभी तो, जैसी थी वैसे ही चाहा,

बदले में चाहत के कभी कुछ और न चाहा..... !!

और अब जबकि बांध बन गया है नदी पर, 

ना चंचलता है, ना तूफान है, 

ना लहरों में उफ़ान है, 

बहती है क्यूंकि बहना ही नियति है, 

गहराइयों में खुद की गरिमा को सहेजती है, 

क्यूँकि अब उसके नाज़-नखरे उठानेवाला,

कोई साथ नहीं चलता, 

बांध से बंधकर ठहरी सी वो, 

अमावस व पूर्णिमा की रात को जगा करती है, 

भावनाओं के वेगों को चांदनी रातों में पढ़ा करती है, 

बांध उसे उतनी ही मोहलत देता है..... 

और उसपर व उसके जज़्बातों पर, 

फिर बड़ी खूबसूरती से समझाता है , 

ह्रदय के समीप आकर, 

सच्चे मित्र सा नियंत्रण पाकर,  

विश्वास से भर उठता है !

क्यूंकि हर स्वतंत्र -स्वछंद, 

उफानी -तूफ़ानी नदिया को, 

बाँधना ही, 

बाँध की नियति है !!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational