फटाफट हाथों को देखा वो थे निर्मल-कोमल, पर सपने की बात आँखों से नहीं हो रही थी ओझल फटाफट हाथों को देखा वो थे निर्मल-कोमल, पर सपने की बात आँखों से नहीं हो रही थी...
कोई साथ नहीं चलता, कोई साथ नहीं चलता,
देह से परे कहीं भूल जाता है चेतन अपने उद्गम को देह से परे कहीं भूल जाता है चेतन अपने उद्गम को
भगवान ने उत्तर दिया हां मेरा लील गौरव मैं तुम्हारे मन को कैसे समझूं। भगवान ने उत्तर दिया हां मेरा लील गौरव मैं तुम्हारे मन को कैसे समझूं।
अपना व अपने देश का वह बना रक्षक शत-शत नमन देवदूतों , शत-शत नमन। अपना व अपने देश का वह बना रक्षक शत-शत नमन देवदूतों , शत-शत नमन।
ढूंढ कर इंटरव्यू लेटर मेरे हाथों में थमाया मैं खुशी से चिल्लाई थी ढूंढ कर इंटरव्यू लेटर मेरे हाथों में थमाया मैं खुशी से चिल्लाई थी