कुछ कहना -सुनना, चुप ना रहना !
कुछ कहना -सुनना, चुप ना रहना !
कभी जब शाम और भी गहरायी हो,
कुछ दबी सी बात उभर आयी हो,
ऐसे में खामोश ना बैठना,
कुछ कहना -कुछ सुनना !
कभी जब चिड़ियों का चहचहाना,
कलियों का मुस्काना,
तन्वी का शरमाना,
याद किसी की दिलाती हों तो,
कुछ कहना -सुनना!चुप ना रहना !
तेज़ हवा का झोंका,
ज़ुल्फ़ों को छेड़ेगा कोई
मीठा राग तभी मन गुनगुनाएगा,
बहकते से मौसम में तुम बहक जाओगे,
ना चाहते हुए भी महक जाओगे,
कुछ कहना -सुनना,चुप ना बैठना !
जिंदगी आधी जी ली,आधी बाकी है,
कहानी आधी कह ली,आधी बाकी है,
उम्र के उस पड़ाव पर आ पहुंचे हैं,
जवानी थोड़ी जी ली,पर कुछ बाकी है,
याद जब आये, बेफ़िक्री के पल-छिन,
कुछ कहना -सुनना,चुप ना रहना !
दोस्तों के कहकहे और कुल्हड़ वाली चाय,
जवाब के इंतज़ार में करना,हर लड़की को हाय,
एक मुस्कान से बना करते थे दिन,
शरारतें याद कर, मन ही मन मुस्काओगे,
कुछ कहना -सुनना,चुप ना रहना !
उम्र बढ़ रही है सबकी,
ये मान लो, इन साँसों पर,
अपना भी कुछ इख़्तियार है,जान लो !
माना तुम किसी और की आँगन का चाँद,
मैं किसी और के राग की रागिनी,
पर इन रूकती -चलती जीवन
रौ में क्या पाएंगे बोलो तो,
ऐसे में कुछ कहना -सुनना,चुप ना रहना !
क्या खोया -क्या पाया,लेखा -जोखा क्यों गिनवाया,
कर्मों के हिसाब,सब उपरवाले के हाथ,
फिर क्यों बेवजह की जद्दोजहद,
जिंदगी जीयो बिंदास !
दिल में जो भी आये, कह डालो !
चुप ना रहो !
प्यारी -मीठी प्रेम कहानियों में
जीवन गुज़ारो !
कुछ रह गया तो कब कहोगे ?
वक़्त कम है,क्यों सहोगे ?
अच्छा- बुरा जो भी हुआ,
शिकवा क्या और गिला क्या ?
खुश रहकर, ख़ुशी ही तो बिखराओगे !
मेरी मानकर बस इतना ही करना,
हाल-ए -दिल बयां तुम करना !
चुप ना रहना !
इससे मिलेगी राहत, तुम्हे,
खुशियों के उपवन में, घुल जाएगी जन्नत,
फिर खामोशी में ना पछताओगे।
बस थोड़ा कहना -सुनना और निखर जाओगे !

