लिखना मेरा शौक है। इससे मुझे खुशी मिलती है। मेरी रचनाओं के वजह से जानी जाऊँ यही तमन्ना है!
तुम्हारे साथ की आशा में मैं, दरवाज़े पर टकटकी लगाये थी तुम्हारे साथ की आशा में मैं, दरवाज़े पर टकटकी लगाये थी
अद्भुत सा आत्मिक बंधन, अद्भुत सा आत्मिक बंधन,
कमज़ोर होते तन में मन भी व्याकुल होता है, आँखों में आह्लाद की जगह भय घर कर लेता है, कमज़ोर होते तन में मन भी व्याकुल होता है, आँखों में आह्लाद की जगह भय घर कर ले...
चाहे कितना भी प्यार क्यू ना करे किसीसे... फिर भी वह दूर चला जाता है... आखिर क्यू, है काेई जवाब इसका.... चाहे कितना भी प्यार क्यू ना करे किसीसे... फिर भी वह दूर चला जाता है... आखिर क्यू...
कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ ! कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ !
खुशियों के उपवन में, घुल जाएगी जन्नत, फिर खामोशी में ना पछताओगे। खुशियों के उपवन में, घुल जाएगी जन्नत, फिर खामोशी में ना पछताओगे।
कोई साथ नहीं चलता, कोई साथ नहीं चलता,
बेवफा तुम नहीं, फिर क्यों ये गुमां होता है, बिन आग , कब धुआँ होता है। बेवफा तुम नहीं, फिर क्यों ये गुमां होता है, बिन आग , कब धुआँ होता है।
दीवानी.. मैं तेरी दीवानी धरा व गगन का रूहानी मिलन होता है। दीवानी.. मैं तेरी दीवानी धरा व गगन का रूहानी मिलन होता है।