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Bhawana Raizada

Drama

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Bhawana Raizada

Drama

पुरुषों में औरत

पुरुषों में औरत

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अभी यहीं कहीं पर मैंने,

पुरुषों में औरत को देखा।


नहीं सुहाते जिसको आँसू,

उसका भी दिल है पिघलता।

कभी कभी तन्हाई में मैंने,

उसको भी रोते बिलखते देखा।


अभी यहीं कहीं पर मैंने,

पुरुषों में औरत को देखा।

है कठोर जिसका हृदय,

वह भी कभी होता द्रवित।


मोमबत्ती को भी मैंने,

अंधेरे में जलते देखा।

अभी यहीं कहीं पर मैंने,

पुरुषों में औरत को देखा।


काबू पाया जिसने भावनाओं पर,

बंद मुट्ठी में बांध कर रखा।

वही बांध टूटने पर मैंने,

ममता का सागर बहते देखा।


अभी यहीं कहीं पर मैंने,

पुरुषों में औरत को देखा।

बिना कुछ कहे जैसे मां,

सब कुछ समझ जाती है।

वैसे ही एक बाप को मैंने,

दिल का हाल जानते देखा।


अभी यहीं कहीं पर मैंने,

पुरुषों में औरत को देखा।


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