दिल क्या करे
दिल क्या करे
कभी भी, कहीं भी,
दिल तो रुकता ही नहीं।
चलता है, थमता है,
ये तो सुनता ही नहीं ।
तेरी आवाज़, तेरी याद,
है कि जाती ही नहीं ।
बहती है, रहती है,
आगे बढ़ती ही नहीं ।
तेरी आँखें, तेरी बातें
ज़हन से जाती ही नहीं ।
कहीं भी, हो तेरा ज़िक्र,
खुशी दिल की छुपती ही नहीं ।
आ जाओ, बाहों में,
ज़िंदगी दो पल की भी नहीं ।
थम जाएं, ये साँसे तो,
तेरी कोई कमी तो नहीं ।