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Sameer Kumar

Romance

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Sameer Kumar

Romance

मैं लौट कर आऊंगा फिर

मैं लौट कर आऊंगा फिर

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महंगी घड़ी खरीद ली,

पर वक्त नहीं ।

खाना तो खरीद लेती हो,

पर निवाला नहीं ।

तुम्हारी हर चीज है सही ,

पर हासिल करनेेे की आदत नहीं।

मैं मानता हूं ।

तुम मुझसे बेइंतेहा प्यार करती हो ।

पर वह प्यार चांद की तरह है

जो कि लौटकर हर रोज आता है।

पर उससे कोई पा नहीं सकता।

काश!

तुमने तसल्ली सेेेे मुझे पढ़ी होती

तो यह चांद तुम्हारे कदमोंं में होता।

तुमने सिर्फ पहला पन्ना पढ़ कर

इम्तिहान दे दिया।

जब परिणाम की घड़ी आई

तो तुम्हारी जगह किसी और ने हासिल कर लिया था।

फिर तुमने मेरे मजबूरी के साथ खेला

पर तुमनेेे मुझसे ज्यादा झेला।


लो मैं लौट कर आ गया, फिर भी

तुम मुझे हासिल नहीं कर सकती,

क्योंकि मैं वह चांद हूं

जिसेे सारा दुनिया देखती है

पर कोई पा नहीं सकता

मैं वो फूल हूं

जिस में तुम्हें कांटों के सिवा और कुछ नही मिलेगा।



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