दिकुप्रेम मिलन का इंतज़ार
दिकुप्रेम मिलन का इंतज़ार
सुनो दिकु...
तुम्हारे इश्क में टूटकर बिखर रहा हूँ
में आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ
कभी इस जीवन में वीरानपन
तो कभी आखों में समंदर का पानी पी रहा हूँ
में आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ
तुम तक एकबार मेरी बात पहुँचाने की ख्वाइश है
में कोई बड़ी सख्शियत को नहीं जानता
मेरे पास तो मेरा परिश्रम ही मेरी गुंजाइश है
हज़ारों चोटें खाकर खुद के दर्दो को
तुम्हारी यादों के सहारे-सी रहा हूँ
में आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ
एक दिन तो ज़रूर आएगा
जो दिकु प्रेम के रिश्ते की किस्मत चमकाएगा
खुद को ठोकर देकर भी अपने इरादों की मज़बूती कर रहा हूँ
सुनो दिकु
में आज भी तुम्हारे इंतज़ार में जी रहा हूँ
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए।

