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Prem Thakker

Romance Others

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Prem Thakker

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नवरात्रि (दिकु के इंतज़ार में)

नवरात्रि (दिकु के इंतज़ार में)

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तेरे चरणों में माँ, सारा जहाँ झुका है,

तेरी ममता से जीवन, हर खुशी से भरा है।

अब तेरे आशीर्वाद से, हर दुख दूर करा दे,

और कुछ नहीं चाहिए माँ, मेरी बस यही बिगड़ी बना दे।


नवरात्रि की हर रात, चलती है माँ तेरे नाम पर,

दिकु का इंतजार है, इस दिल के मुकाम पर।

मेरी एक यही ख्वाहिश अब पूरी करा दे,

और कुछ नहीं चाहिए माँ, मेरी बस यही बिगड़ी बना दे।


तू ही है जो हर दर्द को, अपनी गोद में भर लेती है,

तेरी शक्ति से ही, हर मुश्किल सुलझती है।

अब बस दिकु की मुस्कान को वापिस करा दे,

और कुछ नहीं चाहिए माँ, मेरी बस यही बिगड़ी बना दे।


तूने ही दिया है हमें, हर खुशी का अनमोल ताज,

तेरे बिना हर खुशी, अब आधी सी रह गई है आज।

अब दिकुप्रेम मिलन की ये दास्तां सच करा दे,

और कुछ नहीं चाहिए माँ, मेरी बस यही बिगड़ी बना दे।


प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

प्रेम ठक्कर "दिकुप्रेमी"


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