आकांक्षा
आकांक्षा
तुम्हारी राह तकते दिन, कटते नहीं कभी,
मन की गहराइयों में, बसी हो तुम कहीं।
आसमान की ऊँचाई में ढूंढता तुम्हें हर सुबह, हर शाम,
तुम्हें देखे बिना मिले ना चैन, ना मिले आराम।
तेरी मुस्कान की आकांक्षा, आँखों में बसी है,
हर धड़कन में तेरा नाम, मेरे चेहरे पे तेरे होठों की हंसी है।
सपनों के उस पार, कहीं तुम खड़ी हो,
मेरे लिए अब भी तुम, एक उम्मीद की लड़ी हो।
तुम्हारी वो एक झलक, अब भी मेरी चाहत है,
हर आहट में तुम ही हो पास, यही प्रेम की रब से इबादत है।
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*

