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Vivek Agarwal

Romance

4.9  

Vivek Agarwal

Romance

ग़ज़ल - न सुनी कभी भी तुमने

ग़ज़ल - न सुनी कभी भी तुमने

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ग़ज़ल - न सुनी कभी भी तुमने


न सुनी कभी भी तुमने; मेरे इश्क़ की कहानी। 

जो दबी हुई है दिल में; वही बात है बतानी। 


तेरे बिन जो जी रहा हूँ; वो मुझे लगे अधूरी, 

जो बची है जिंदगी अब; तेरे साथ है बितानी। 


ये नहीं है इतना आसां; कि मैं भूल जाऊँ तुमको,     

ये नहीं है आज कल की; ये है दास्ताँ पुरानी।


मेरे आँसुओं की कीमत; मैं भला किसे बताऊँ, 

जो छुए किसी के दिल को; तो हैं अश्क़ वरना पानी।


जो कभी मिले अचानक; यूँ ही राह चलते चलते,

तो ज़रा ठहर के जाना; न तू करना बदगुमानी। 


है बहुत बड़ी ये दुनिया; हैं बड़े हसीन चेहरे, 

तेरी बात ही अलग है; न तेरा बना है सानी। 


तेरा शबनमी है चेहरा; तेरे होंठ मद के प्याले,

क्या बता तेरा इरादा; क्या है तूने मन में ठानी।


तेरी झील जैसी आँखों; में कहीं मैं डूब जाऊँ,

तुझे देखता रहूँ मैं; न नज़र पड़े हटानी।


जो मिले तेरी इज़ाज़त; तो सँवार दूँ ये ज़ुल्फ़ें,    

तेरे गेसुओं की खुशबू; ज्यूँ महकती रात रानी। 


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