Vivek Agarwal

Romance Fantasy

4.6  

Vivek Agarwal

Romance Fantasy

मधुमास

मधुमास

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समापन है शिशिर का अब, मधुर मधुमास आया है।

सभी आनंद में डूबे, अपरिमित हर्ष छाया है॥


सुनहरे सूत को लेकर, बुना किरणों ने जो कम्बल।

ठिठुरते चाँद तारों को, दिवाकर ने उढ़ाया है॥


चुरा चुम्बन चमेली का, चपल चंचल भ्रमर भागा।

मयूरों कोकिलों ने भी, मिलन का गीत गाया है॥


पवन परिमल पथिक पथ पर, तनिक मदमत्त लगता है।

नवेली नार का आँचल, अचानक से उड़ाया है॥


लचकती है लिपटती है, ललित लतिका लजाती है।

परागित पुष्प पल्लव ने, प्रिया का मन लुभाया है ॥


कली किसलय कुसुम कोपल, कुमुद कुनिका कमल कोमल।

सभी सिकुड़े सिमटते थे, अभी नव प्राण पाया है॥


अनल अंतस अनूठा सा, प्रखर प्रति पल प्रणय पीड़ा। 

धनुष ले हाथ पुष्पों का, मदन ने शर चलाया है॥


समर्पित काव्य चरणों में, बनाई छंद की माला।

नमन है वागदेवी को, सुमन ‘अवि’ ने चढ़ाया है॥


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